વચનામૃત
जन्तुनां नरजन्म दुर्लभमतः पुंस्त्वं क्षतो विप्रता, तस्माद् वैदिकधर्ममार्गपरता विद्वत्वमस्मात्परम् । आत्मानात्मविवेचनं स्वनुभवो ब्रह्मात्मना संस्थितः, मुक्तिर्नो शतजन्मकोटिसुकृतैः पुण्यैर्विना लभ्यते ॥ 2 ॥ विवेक चूडामणि 2॥...
Read Moreby Gyaan Vihar Ashram | Jan 23, 2015 | Vachnamrut, Yogamrut | 0 |
जन्तुनां नरजन्म दुर्लभमतः पुंस्त्वं क्षतो विप्रता, तस्माद् वैदिकधर्ममार्गपरता विद्वत्वमस्मात्परम् । आत्मानात्मविवेचनं स्वनुभवो ब्रह्मात्मना संस्थितः, मुक्तिर्नो शतजन्मकोटिसुकृतैः पुण्यैर्विना लभ्यते ॥ 2 ॥ विवेक चूडामणि 2॥...
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